उत्तर प्रदेश की प्रमुख योजनाएं/ नीतियां (पार्ट-2)
1.मुख्यमंत्री आवास योजना-ग्रामीण:
लागू - 30 जनवरी, 2018 को
वित्तपोषण - शत-प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा
बजट - वित्तीय वर्ष 2021-22 में 369 करोड़ रुपये का आवंटन
- पात्रता - गांवो में निवास करने वाले छतविहीन/आश्रय विहीन वे परिवार जो कालाजार से प्रभावित हों
- जापानी इंसेफेलाइटिस से प्रभावित परिवार
- प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण की पात्रता से आच्छादित हैं, (SECC-2011 के आंकड़ो पर आधारित सुविधा में वर्तमान पात्र सूची में न हो)
प्रमुख तथ्य:
- आवास का क्षेत्रफल 25 वर्गमीटर जिसमें रसोईघर भी शामिल तथा आवास की लागत राशि (प्रति आवास ) सामान्य क्षेत्रों में 1.20लाख तथा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 1.30 लाख रुपये
- आवास के साथ शौचालयों का निर्माण स्वच्छ भारत मिशन/मनरेगा के अंतर्गत
- आवास का आवंटन
- प्राथमिकता के आधार पर परिवार की महिला सदस्य
- या संयुक्त रूप से पति-पत्नी के नाम
- महिला सदस्य न होने पर पुरुष को आवंटन
आवास योजना - ग्रामीण में संशोधन
स्वीकृति - 16 मार्च, 2021 को उत्तर प्रदेश मंत्रिपरिषद द्वारा
संशोधन हेतु पात्रता - सहरिया, कोल एवं थारू श्रेणी के पात्र निर्धन लाभार्थियों को शामिल किया गया
विशेषता - आवासविहीन या कच्चे जर्जर आवासों में निवास कर रहे (खारू, सहरिया एवं कोल समुदाय के) गरीब परिवारों को पक्के मकान उपलब्ध कराना
2.मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना:
शुूभारंभ - उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा
आवश्यकता - गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाले सभी वर्ग की कन्याओं के विवाह हेतु
संचालन - समाज कल्याण विभाग द्वारा
विशेषता - पात्र कन्या के अभिभावक उत्तर प्रदेश के मूल निवासी हों और उनकी पारिवारिक आय गरीबी रेखा के नीचे हो
प्रमुख तथ्य:
- विधवा और तलाकशुदा महिलाएं भी इस योजना में शामिल
- धनराशि प्रति जोड़े पर सरकरा द्वारा 51000 रुपये व्यय किया जाता हैं।
- विवाह के लिए महिला की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष व पुरुष की 21 वर्ष निर्धारित
- सामूहिक विवाह कार्यक्रम में न्यूनतम 10 जोड़ो का होना अनिवार्य
आयोजन:
- नगरीय निकाय (नगर पंचायत, नगर-पालिका परिषद एवं नगर निगम)
- क्षेत्र पंचायत
- जिला पंचायत
- स्वैच्छिक संस्थाएं आदि जिन्हें जिलाधिकारी द्वारा सामूहिक विवाह कार्यक्रम हेतु अधिकृत किया जाएगा
3.प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना:
9 मार्च 2019 को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना तथा पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना को वर्ष 2019-20 एवं आगामी वर्षों के लिए खरीफ एवं रबी के मौसम में लागू करने का निर्णय लिया गया। इस अवधि में यह योजना खरीफ एवं रबी पसलों के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर प्रदेश के सभी जनपदों में लागू की गई।
प्रमुख तथ्य :
- क्रियान्वयन - भारतीय कृषि बीमा योजना
- वित्तीय सहायता -
- प्रतिकूल मौसम की स्थिति में अधिसूचित क्षेत्र में अधिसूचित फसल की बुवाई न कर पाने,
- फसल बुवाई से कटाई की अवधि में प्राकृतिक आपदाओं,
- कृमियों से फसल नष्ट होने, रोगों तथा फसल कटाई के बाद आगामी 14 दिनों में खेत में कटी फसल की स्थिति में कृषकों को बामा कवर के रूप में वित्तीय सहायता पदत्त
- विशेषताएं-
- फसल की प्रति हेक्टेयर उत्पादन लागत बीमित राशि के रूप में निर्धारित
- खाद्य फसलों हेतु कृषक द्वारा वाहित प्रीमियम अंश खरीफ फसल हेतु बीमित राशि का 2 प्रतिशत
- रबी फसल हेतु 1.5 प्रतिशत अथवा वास्तविक प्रीमियम दर जो कम हो
- नकदी फसल हेतु बीमित राशि का 5 प्रतिशत
- बीमा कंपनी द्वारा कृषकों को देय क्षतिपूर्तिकी राशि बैंक खाते में जमा कराने की व्यवस्था
- उपर्युक्त तरीकों से हुए फसल की क्षति का आकलन फसल कटाई प्रयोगों से प्राप्त उपज के आधार पर आकलित
नोट : कृषकों द्वारा वाहित प्रीमियम अंश से अधिक एवं फसल े वास्तविक प्रीमियम दर के अंतर्गत की धनराशि को प्रीमियम पर अनुदान के रूप में केंद्र व राज्य सरकार बराबर-बराबर वहन करेंगी।
पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना
लागू - खरीफ और रबी फसलो के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर प्रदेश के सभी जनपदों में
विशेषताएं -
- जोखिमों के दृष्टिगत प्रदेश के सभी 75 जनपदों को 6-7 जनपदों के 12 समूहों में विभाजित
- चयनित जनपदों के प्रत्येक ब्लॉक में स्वतंत्र एजेंसी के माध्यम से मौसम मापी यंत्र द्वारा कम वर्षा/अधिक वर्षा, कम व अधिक तापमान आदि का प्रतिदिन का आंकड़ा एकत्रित करना
- इन्ही एकत्रित आंकड़ो के आधार पर योजना के प्रावधानो के अनुसार, क्षति का आकलन कर कृषकों को क्षतिपूर्ति का भुगतान उनके बैंक खाते में किया जाता है।
4.प. दीन दयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना:
शुभारंभ - 8 अगस्त, 2017 को
संचालन अवधि - वर्ष 2017-18 से वर्ष से 2021-22 तक
लाभार्थी - कृषक एवं कृषक मजदूर
क्षेत्र - बंदेलखंड क्षेत्र के 7 जनपदों को छोडकर शेष 68 जिलों में संचालित है
परियोजना क्षेत्र के चयन में उन क्षेत्रों को प्राथमिकता जहां लघु-सीमांत कृषकों, अनुसूचित जाति कृषकों, अनुसूचित जनजाति कृषकों एवं भू-आवंटियों की अधिकता हो
प्रमुख तथ्य:
- चयन का आधार : जलसमेट क्षेत्र के आधार पर
- प्रमुख कार्य : बांध निर्माण, सुरक्षित जल निकासी हेतु नाले का निर्माण आदि
- लाभ - इस योजना के संचालित होने से कृष्य उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि जिसके फलस्वरूप कृषकों की आय में वृद्धि
विशेषताएं :
- चयनित परियोजना क्षेत्र के शत-प्रतिशत अनुदान पर बीहड़/बंजर भूमि सुधार तथा जल भराव क्षेत्र का उपचार मनरेगा के तहत क्रियान्वि
- कृषि/वानिकी के साथ-साथ उपचारित क्षेत्र में 50 प्रतिशत अनुदान पर फसलोत्पादन कार्य भी संपादित
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